राजीवलोचन भगवान
श्रीरामचन्द्र की यह स्तुति सप्ताक्षरी है । इसके प्रत्येक चरण में 7 अक्षर(आधे
अक्षर की गिनती नही की जाएगी) तथा एक लाइन में 14 अक्षर है ।
जामदग्न्यमहादर्पदलन - परशुरामजी के महान अभिमान को चूर्ण करने वाले
प्रभु श्रीराम
श्रीराम स्तुति
ब्रह्माजी विवस्वान,
इक्ष्वाकु औ' विकुक्षि,
त्रिशंकु
हरिश्चन्द्र, राम के पूर्वज है ।
दिलीप भगीरथ,शंखड़
सुदर्शन ,
नहूष ययाति के, कुल
के दीपक है ।
प्रपौत्र नाभाग के, पौत्र
है ये अज के ,
सुर्यवंशी कुल के,
नाम रघुकुल है ।
लाल है कौशल्या के, पुत्र
दशरथ के,
भ्राता है लखन के,
अयोध्या के राजा है ।
जमाई है जनक के, पति मातु
सीता के,
शिष्य विश्वामित्र
के, सुग्रीव के मित्र है ।
सेवक कपीस है, झुकें
दसशीश है ,
पूजते हरीश है, कहें
जगदीश है ।
ऐसे
जितेन्द्रिय जितक्रोध: जितलोभ,
जामदग्न्यमहादर्पदलन राघव को,
भक्त अखिलेश का,साष्टांग
प्रणाम है ।
पं0 अखिलेश कुमार शुक्ल
चित्रः गुगल साभार