जी सर
वर्तमान समय में समाज के
शिक्षित एवं विकसित बौद्धिक स्तर वाले व्यक्तियों में एक शब्द जी सर का अत्य़धिक
मात्रा में प्रयोग किया जा रहा है । जी सर और सर जी शब्द में इतना विशाल
अन्तर होगा यह तो आपको किसी आफिस में जाने पर ही पता चलेगा । सर जी एक प्रकार से
प्रश्नवाचक शब्द है, जब आपको किसी व्यक्ति या अपने से वरिष्ठ व्यक्ति से कुछ पुछना
हो तो वहां पर इस शब्द का प्रयोग कर सकते है परन्तु जी सर, जी हुजूरी का शब्द है
जिसे आप खुश रखने के साथ ही अन्य मह्तवपूर्ण स्थानों पर भी कर सकते है । जी सर शब्द बोलने वाला व्यक्ति कभी-कभी आत्म-ग्लानि से भरा हुआ होता है परन्तु जी सर शब्द सुनने वाला व्यक्ति सदैव ही आत्ममुग्ध होता है तथा अपने आपको सदैव गर्वान्वित महसुस करता है ।
समस्त कार्यालयों में जितने भी जुनियर कर्मचारी है, वह अपने
अधिकारियों से जब भी कोई वार्ता करते है तो वहां पर वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा
बोले गए शब्दों का अक्षरशः पालन करने हेतु जी सर शब्द का प्रयोग किया जाता है ।
यदि दो वार्ता करने वाले व्यक्तियों के मध्य दो पद से अधिक का अन्तर है तो वहां पर
यह शब्द अपने मूलभाव से इतर का भाव व्यक्त करता है, क्युंकि उस स्थान पर जुनियर
कर्मचारी अपने अधिकारी के समस्त जवालों का जवाब बस अपनी गर्दन को उनकी सहमति में
हिलाते हुए, उसके जवाब हेतु जी सर का प्रयोग करता है । जी सर एक ऐसा
शब्द है जो कि सहमति के साथ-साथ सभी सवालों का जवाब भी अपने अन्दर समेटे हुए है ।
कभी-कभी तो ऐसी भी स्थिति देखी गयी है कि अधिकारी कुछ भी पूछ
रहा है और कर्मचारी के द्वारा बस जी सर, जी सर, सर, सर के द्वारा ही जवाब दिया
जाता है । इस प्रकार का अद्वितीय शब्द का चलन अब बढ़ता ही जा रहा है, यहां तक
कि कभी-कभी तो किसी सुअवसर या गोष्ठी में गाली खाने के उपरान्त भी प्रतिउत्तर में
जब जी सर सुनने को मिलता है तो लगता है यह शब्द तो शालीनता का बोध कराता
है । सामने वाला व्यक्ति इतने क्रोधित स्वर एवं कर्कश आवाज में सवाल पूछ रहा
है और फटकार लगा है, उसके बाद भी सामने वाले सर झुकाकर इतने निष्कपट एवं केन्द्रित
भाव से सहजतापूर्वक जी सर बोलते हुए अपने गर्दन को 45 डिग्री पर सामने की तरफ उसके
समक्ष झुकाता है, जैसे कोई भक्त अपने भगवान को देखकर पूर्णतया ध्यानमग्न होकर
अपने आप को उनके समक्ष समर्पित कर देता हो । यह भक्तिमय भाव अपनी आत्मा को शुन्य
के भाव पर लाकर रख देता है । ऐसा लगता है कि जैसे जी सर बोलने वाले व्यक्ति के
अन्दर वैराग्य का भाव आ गया हो और जी सर बोलते हुए मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना
कर रहा हो कि "हे ईश्वर ! ये
आपकी संतान है , इनकी गलतियों को आप क्षमा कर देना "
।
इसलिए अपने देश में जिस तरह से अंग्रेजी भाषा का विकास हो रहा
है , उसे देखते हुए कुछ सालों के बाद कर्मचारियों को ट्रेनिंग में जी सर बोलने के
अलावा और कुछ भी सिखाने की जरूरत नही पड़ेगी क्युंकि यह शब्द स्वयं में ही इतना
सारगर्भित है कि किसी भी स्तर पर आप इसका प्रयोग कर सकेगें । समझ गए
सर................. जी सर .........
पं0 अखिलेश कुमार शुक्ल की कलम से
जी सर बिल्कुल सही लिखा आपने, कुछ ऐसा ही एहसास किया मैने भी। अति सुंदर
ReplyDeleteवर्तमान की यह परिस्थिति है । सादर धन्यवाद पोस्ट पर सार्थक प्रतिक्रिया देने कि लेिए
Delete😄😄😄right and good thoughts
ReplyDeleteसादर धन्यवाद
Deletevery nice prabhu
ReplyDeleteThanku bhai
DeleteVery good sir ji
ReplyDeletealot of thanks for reading my post
DeleteNice
ReplyDeleteधन्यवाद अनुज
Deleteसादर धन्यवाद
ReplyDeletevery nice
ReplyDeleteThanku
Delete