Thursday, May 21, 2020

वर्ण पिरामिड रचना


वर्ण पिरामिड रचना

हे,
कुन्ती
के पुत्र
धनंजय
विजयी भव
उठाओं विशीख
मिटा दो अधर्म को,
नाश करों पापियों का,
पुनः स्थापित करों धर्म ।


हे
कान्हा,
कंसारी,
संग ग्वाल,
बने गोपाल
यशोदा के लाल
राधा के प्रीति में
रचाएं हो महारास,
प्रणाम रणछोड़ नाथ ।


हे
नाथ
द्रोपदी,
की लाज को,
भरी सभा में,
निर्वस्त्र होने से,
आप ही बचाएं हो,
आज कष्ट की घड़ी में,
रक्षा करों हे दीनानाथ ।

हे
नभ
के जल
सीचों  महि
सुखे जंगल
कृषक मन को
हो प्रचूर अनाज
क्षुधा तृप्त हो सबकी
मेरे मन की ये आवाज ।
दीप
पतंगों,
को समीप,
प्रेम-पाश से,
पास बुलाकर,
आलिंगन करके,
क्युं हरते उनके प्राण,
क्या यही प्रेम परिणाम ।

मेघ
सावन
क्युं है प्यासा
धरती सूखी
व्याकुल है खग
स्थिर हुआ अश्वत्थ
अंधकार में जीवन
तुम ठहरे हो नभ में ।

(खग-पक्षी, अश्वत्थ-पीपल)
पं0 अखिलेश कुमार शुक्ल

9 comments:

  1. Shabdo Ka krmanusar bhaw or kram me achchhi prastuti

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(२३-०५-२०२०) को 'बादल से विनती' (चर्चा अंक-३७१०) पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    **
    अनीता सैनी

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    1. आदरणीय दीदी जी सादर प्रणाम
      मेरी रचना को बादल से विनती चर्चा अंक 3710 पर पोस्ट करने के लिए हृदय से आपका सादर आभार ।

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  3. बहुत खूब,

    पिरामिड वर्ण

    👌👌👌💐💐💐

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    1. सादर धन्यवाद आपका उत्साहवर्धन करते हेतु .

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  4. बहुत अच्छी शिक्षाप्रद बातें पिरामिड में पढ़ना अच्छा लगा

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    1. आदरणीया सादर नमस्कार,
      मेरी यह प्रथम पिरामिड रचना है बाकि मैं कविता लेखन से अभी अनभिज्ञ हुं । आपने अपना अमुल्य समय देकर सार्थक प्रतिक्रिया दी इसके लिए सादर धन्यवाद ।

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  5. सुन्दर शिक्षाप्रद एवं लाजवाब वर्ण पिरामिड
    वाह!!!

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    1. अपनी प्रतिक्रिया देकर नयी कविता के सृजन के लिए उत्साहिक करने के लिए सादर धन्यवाद

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