माँ वंदना
माँ के चरणों की धुलि में, नत शीश झुकाते है दिनकर,
वंदन करते हम सब प्रतिपल, आशीष ग्रहण करते
करूणाकर ।
शंकर का भी त्रिशुल , जिन चरणों में बरसाएं फुल,
मातु हृदय ही है , जहां मिट जाए सब शुल ।
माँ
एक हाथ से भोजन कराती, दूसरे से जल पिलाती,
मुंह पोछती निज आंचल से, भर-पेट वो मुझको खिलाती ।
चुमती वो माथें को, गोंद में अपने सुलाती ,
दुध वो मुझको पिलाती, उसकी तभी छाती जुड़ाती ।
आंचल ही वस्त्र मेरा, उसी में होता सबेरा,
लिपटे बिना न नींद आती, मेरी नींद का रहती बसेरा ।
पति प्रेम से भी अधिक था मैं, मैं पति प्रेम की निशानी,
प्रेम वो मुझसे ही करती, पति प्रेम थी कहानी ।
सानिध्य में वो अपने , मुझको डांटती फटकारती,
पर अश्रु देख मेरे, जी भर के वो दुलारती ।
कण्ठ में मेरे, आवाज थी उसी की,
नयन में मेरे , प्रतिबिम्ब थी उसी की ।
हैं विज्ञान ये प्रकृति की, जो विज्ञान से परे है,
मेरे रक्त की ये कोशिका, मात्र मातृ-दुग्ध से बने है ।
लाल हुं मैं उनका, मेरे मस्तक की लालिमा वों,
प्राण हुं मैं उनका, मेरे अधर की मुस्कान वों ।
आंख के ही सामने, मुझे बार-बार ढुंढती,
साथ में खिलाती, साथ ही सुलाती ।
अभिन्न अंग था मैं, रहता भी संग मैं,
जीवन के रंग का , उमड़ता उमंग मैं ।
डर में वो जीती थी, आज डर भाग जाती है,
बालक की प्रीति में, जब सामने वो आती है ।
स्वप्न में भी मैं था, याद में भी मैं था,
साथ में भी मैं था, भाव में भी मैं था ।
आज मैं वयस्क हुंआ, वृद्ध हो गयी है माँ,
चैन से मैं सो रहा , पर जागती है आज भी माँ ।
प्रेम में मैं पड़ गया , पर प्रेम में वो आज भी,
गांव की गलियों में, मुझको ही निहारती ।
बात-बात में वो, बस एक बात पूछती ,
लल्ला को मेरे अब, क्या याद नही आती ।
पं0 अखिलेश कुमार शुक्ल की कलम से
Execllent
ReplyDeleteधन्यवाद ।
Deleteमाँ दुनिया की अनमोल रतन
ReplyDeleteधन्यवाद मित्र ।
Deleteअद्भुत
ReplyDeleteधन्यवाद मित्र
DeleteMaa, unique narration
ReplyDeletealot of thanks my big brother
DeleteNice
ReplyDeletethanks
DeleteVery nice baba ji Ati sunder
ReplyDeleteआपका धन्यवाद कविता पढ़ने एवं मुझे इतने महान उपाधि से अलंकृत करने के लिए ।
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteAti sundar kavita hai...
ReplyDeleteसादर धन्यवादी बड़े भ्राता
Deleteआज मैं वयस्क हुंआ, वृद्ध हो गयी है माँ,
ReplyDeleteचैन से मैं सो रहा , पर जागती है आज भी माँ ।
ये लाइन मेरे दिल को छू गई मेंरे दोस्त। इसी तरह की पंक्ति आपके मनोभाव से उद्घृत होती रहे ।
धन्यवाद भाई ।
DeleteNice
ReplyDeleteसादर धन्यवाद
DeleteAdbhut very good 👍👍💐
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