Wednesday, April 8, 2020

प्रणय हो उसी से


प्रस्तुत कविता में एक नव-यौवना अपने हृदय के इच्छा को व्यक्त कर रही है कि जिस पुरूष से उसे विवाह/प्रेम करना है वह कैसा हो । उसी का संक्षिप्त वर्णन है ।      

             
             प्रणय हो उसी से
          
           अतुलनीय शौर्य हो, पर सिंचित हो दीन से,
            प्रतापी प्रचंड हो , पर संताप शुन्य हृदय हो,
            स्नेही प्रबल हो, सन्देह से परे हो,
            कामी हो कांता से, व्यभिचार से परें हों,
            वट हो मेरे वाटिका का, विटप विशाल हो ,
            प्यासा हो प्रेम का, प्रेमी निष्काम हो,
क्षुधित क्षुधा में; बस प्रेम की ही आग हो,
            कामना नगण्य हो, चाहे कामिनी अनन्त हो,
प्रेम हो उसी से, अर्पण हो यह मन जहां ।

            जो स्नेह हो तात का, ओज हो प्रभात का,
            निर्विकार हो हृदय से, पर साथ हो प्रलय में,
            अभिमान रहुं जिसका, सम्मान करू उसका,
            नत शीश ये झुके वहां, संग शीश पे रहूं जहां,
            काट ले न पर मेरा, श्वास ही रहे मेरा,
            अनुराग से भरा हुआ, नयन में रखे सदा ,
निमेषहीन नयन में प्रतिबिम्ब मैं बनी रहुँ,
            संगिनी बनी रहुँ, अर्द्धागिंनी बनी रहुँ,
शील हो, सशक्त हो, स्वर्ण रश्मि से भरा हुआ,
            पंक न भरा रहें, पर पंकज सा खिला हुआ,
लड़खड़ाए पैर ये, तो निज प्रेम पाश बांध ले वों,
            स्वच्छंद मैं रहुं जहां, पर प्रतिबद्ध मैं रहुं सदा,
प्रण है ये मेरा प्रणय हो उसी से ।

            जब भी मैं सकल-विकल-दारूण मन से;
विचलित सा हो जाउं तो,
            निज उर-गेह में गह बांध ले मन;
तन स्नेह से ही पाऊं मैं ।
            जब भी वों देखे दग्ध हृदय व स्निग्ध नयन से,
मन मुदित हो अंतःमन से, 
जगद्भवानी, मां कल्याणी ऐसा प्रेमाम्बुद वर्षण कर दें,
जैसे हिम-आच्छादित हिमराज तुंग को;
अरूणोदय की नव-कंचन-मयूख आभा से भर दे,       
            हे मातु ! भवानी ! सिंहवाहिनी ! जगत तारिणी;
            वैराग्य रहित, अनुरक्ति सहित ऐसा शीतल वर दे,
            कि, लाज प्रण की रहैं, साथ प्रणय भी रहें ।

                                                             
                                                                                 प0 अखिलेश कुमार शुक्ल की लेखनी से


प्रणय हो उसी से

26 comments:

  1. Bahut hi sundar wrdan kiya hai sir

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  2. Sir meri iccha hai ki aap humare manyvar guru ji ek Prem ke upar jo is duniya ke Prem se alga ho sir plz

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    1. sure, i will try after getting some experience on this topic

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  3. बहुत ही सुंदर वर्णन है भैया

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  4. Nisandeh ye kavita aapke udaarantrik mann ka pratibimb hamare samaksh prastut kar rahi hai. atulniya .

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    1. मेरे अवचेतन मन की गहराईयों का इतनी सुलभता से छायांकन करने के धन्यावाद ! मेरे प्रिय अनुज !

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  5. Excellent, Outstanding Keep it up

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  6. Ek ldki ke man ke khwab ko yathart me la Diya aapane to

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