शीर्षक- एहसास


 एहसास



बीत गया लफ्जों का दौर,
रह गया एहसास,
छोंड भविष्य की अविरल चिन्ता,
 करिये इक एहसास

धूप की प्रचंडता का,
प्रकृति की अखंडता का,
हृदय की क्षम्यता का,
मौन की आभासिता का,
करिए इक एहसास

माँ बाप के करीब बैठने का,
बच्चों की बोलियों का,
परिवार में कम होती दूरियों का,
दादा -दादी का बने सहारों का,
पुराने टुटे छप्पर में बचपन के दीदारों का,
हर बात किये बहाने का,
बीते उस दौर जमाने का,
करिये इक एहसास

पीपल के पत्तों की सुर-सुराहट
खेतों से बहती हुयी हवाओं की सन-सनाहट,
घोसलों में बैठी गौरैयों की चह-चहाहट,
तपती जेठ की दुपहरी की गर्माहट,
नवोढ़ा वधु के कंगन की खन-खनाहट का,
करिए इक एहसास

कभी गुलजार रहें गांव के बागांनों का,
बेचें हुए कंगन पर टुटे हुए मां के अरमानों का,
बचपन में खेले हुए अमिट निशानों का,
दीवाली के त्यौहार में मिट्टी के दीवाल पर जलाए गए दीयों का,
करिए इक एहसास

कुछ बातें कहती हुयी दीवालों का,
खाट पर सोते समय खाए हुए मां के निवालों का,
बात-बात पर अकारण ही रोते-बिलखते,चिल्लाते और मटकते हुए देखकर
थके हारे गमगीन पिता के चेहरे पर उभरी हुयी मुस्कान का,
करिये इक एहसास

सुखते हुए पेड़ो से टुटती हुए टहनियों का ,
मुरझाएं हुए फुलों से बिखरती हुयी कलियों का,
हर रात मां के साथ सोने को लेकर बहनों से हुयी लड़ाइयों का ,
वीरान् हुए घरों में बैठी मां कि निहारती हुयी अंखियों का,
बेसहारा हुए पिता के जरूरत पड़ते हुए कन्धे के सहारों का,
करिए इक एहसास

भरें हुए बरामदे में एक किनारे में गुमशुम से अकेले बैठे हुए,
अपने तरफ ध्यान के लिए बार-बार चीखते-चिल्लाते हुए,
कांपते हुए हाथों से छुटती हुयी पानी की गिलासों को देखकर;
फिर से रजाई में दुबककर सो जाने का बहाना करते हुए,
बात-बात में डाटने पर भी सबके साथ बैठकर खाने की जिद करते हुए,
अपनी फटी हुयी धोती से सुखे हुए आंखों के आसुओं को पोछते हुए,
कभी बचपन में अपने उपर रखे हुए उन पाषाण से बेजान हाथों को ,
जरूरत के समय , समय न देने का,
करिये इक एहसास

                                                                                       पं0 अखिलेश कुमार शुक्ल

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ehsas


Comments

  1. Replies
    1. धन्यवाद मेरे प्यारे अनुज ।

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  2. क्या बात है मित्र बहुत ही अच्छी कविता आपने लिखा है।

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    1. एक छोटा सा प्रयास है मित्र

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  3. एक बहुत ही गहरा संदर्भ, बहुत ही आसान शब्दों में। सुन्दर !

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    1. अंतः मन से निकले शब्द है ।

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  4. bahut hi sundar line kavita hai mere dost

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    1. बस आप सब का शुभाशीष है ।

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    1. जी , प्रयास तो वही था । अब कितना सफल हुए इसका अवलोकन करके आप ही बताइए ।

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  6. ये एहसास अतुलनीय है, इस एहसास के लिए धन्यवाद

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    1. धन्यवाद मित्र बस ऐसे ही उत्साहवर्धन करते रहे

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